जय माता दी !

Maa Durga
शीश नवायेंगें मैया को  ;दर  पर चलकर जायेंगे ,
मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें .
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लाल चुनरिया ओढ़ के मैया भक्तों पर मुस्काएंगी ,
हलवा पूरी भोग मिलेगा तो मेरे घर आएँगी ,
अपने घर पर रोज़ बुला मैया का दर्शन पाएंगे ,
मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें .
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सिंह सवारी करने वाली माँ की बात निराली है ,
कभी वो दुर्गा कभी भवानी कभी शारदा काली है ,
इन रूपों का ध्यान धरेंगे भय को दूर भगाएंगे ,
मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें .
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माँ की महिमा गा -गाकर हम संकट दूर भगाते हैं ,
माँ की मूरत मन में धरकर सफल यहाँ हो पाते हैं ,
माँ को ही अपने जीवन में प्रेरक तत्व बनायेंगें ,
मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें .
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हर  बेटी में रूप है माँ का इसीलिए पूजे मिलकर ;
सफल सभ्यता तभी हमारी बेटी रहेगी जब खिलकर ;
हम बेटी को जीवन देकर माँ का क़र्ज़ चुकायेंगे .
मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें .
                                                     जय माता दी !
                                              शालिनी कौशिक 
                                          [कौशल ]

टिप्पणियाँ

श्री राम नवमी की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (29-03-2015) को "प्रभू पंख दे देना सुन्दर" {चर्चा - 1932} पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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