वाह रे भाजपा और भाजपाइयों



न्यायिक क्षेत्राधिकार मिले लखनऊ को : भाजपा ,आज के समाचारपत्रों में भाजपा के उत्तर प्रदेश में विधान मंडल दल के नेता सुरेश कुमार खन्ना तथा विधान परिषद में पार्टी के नेता ह्रदय नारायण दीक्षित के कथन को स्थान दिया गया और यह स्थान देना ही भाजपा की मतलब परस्त व् अवसरवादी राजनीति का चेहरा सामने लाने को पर्याप्त था .उत्तर प्रदेश में भाजपा स्वयं सत्ता में नहीं है और इसलिए यहाँ अपनी जनता के हितों के बारे में सोच व् प्रतिबद्धता दिखाने को लखनऊ जनपद के जो जिले नजदीक होने के कारण क्षेत्राधिकार में इलाहाबाद के अंतर्गत आते हैं और उस कारण वादकारियों को जो समय व् पैसे के अपव्यय की असुविधा होती है उसे लेकर भाजपा के ये नेता ,क्योंकि यहाँ सपा की सरकार है इसलिए बढ़-चढ़कर उन जिलो का क्षेत्राधिकार लखनऊ को दिलाने की बात करते हैं और जहाँ के लिए वे स्वयं कुछ कर सकते हैं वहां अपना न तो सकारात्मक रवैया रखते हैं और न ही उस सम्बन्ध में कोई कदम उठाते हैं सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि इससे उनके पूर्वी उत्तर प्रदेश के वोट बैंक पर प्रभाव पड़ने की सम्भावना है और इसलिए तो रविशंकर प्रसाद जी पत्र भेजकर बेंच के संबंध में विचार के लिए बनी कमैटी को भंग करा देते हैं .जब ये सत्ता से बाहर होते हैं तो सभी के लिए अधिकारों की बात करते हैं और जब सत्ता में तब अपने ही अधिकारों का इस्तेमाल और इसीलिए इनके शब्द इन्हीं पर सटीक बैठते हैं -
   [भाजपा के ही रविशंकर जी ने कहा था ]-
''कहाँ तो तय थे चिराग हरेक घर के लिए ,
 कहाँ चरागाँ मयस्सर नहीं शहर के लिए .''
   अब ये भाजपाई ही बताएं कि वेस्ट यूपी में इतनी दूरी के कारण जो जनता को समय व् पैसे का अपव्यय करना पड़ रहा है उसके लिए आपकी प्रतिबद्धता व् सोच कहाँ है ?

शालिनी कौशिक
   [कौशल ]

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