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अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ये कहाँ ले आये नरेंद्र मोदी

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झूठ की खेती करते हैं मां-बेटे : मोदी सोनिया की टिप्पणी पर कहा- ‘पापियों’ को अब भगवान भी नहीं बचा सकते कहीं मुझे चांटे न लगा दें मां-बेटे फतेहपुर। नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर व्यंग्य करते हुए कहा, ′मां-बेेटे के मन में मेरे लिए काफी गुस्सा भरा है। अगर मैं सामने आ जाऊं तो दोनों मेरा न जाने क्या हश्र करेंगे। शायद मुझे दस-बारह चांटे ही लगा दें।′[अमरउजाला से साभार ] ''कपिल से बड़े कॉमेडियन हैं राहुल ,झूठ की खेती करते हैं माँ-बेटे ,कहीं मुझे चाटें न लगा दें माँ-बेटे ''-राजनीति का यह स्तर कभी नहीं था और न ही भाजपा का ,इस सबकी शुरुआत तबसे हुई जबसे नरेंद्र मोदी नाम की शख्सियत ने गुजरात की राजनीति से केंद्र की राजनीति की तरफ कदम बढ़ाने आरम्भ किये .इस तरह की निकृष्ट भाषा शैली कभी भी राजनीति में प्रयोग नहीं हुई होगी जिस तरह की निकृष्ट भाषा शैली नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में तालियां पिटवाने के लिए लगातार इस्तेमाल किये जा रहे हैं और उसमे कॉमेडी खुद कर रहे हैं और कॉमेडियन राहुल को कह रहे हैं .    सोनिया गांधी व् राहुल

मीडिया कॉर्पोरेट घरानों को बिका

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    कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान में मिडिल  क्लास गायब, नेता नाखुश    लोकसभा चुनाव २०१४ का निर्णय अभी आना शेष है किन्तु  जिस तरह से मीडिया द्वारा कांग्रेस विरोधी और मोदी के पक्ष में प्रचार किया जा रहा है उससे ये तो साफ़ हो ही गया है कि इस बार के चुनाव केवल और केवल मीडिया ही लड़ रहा है कभी भी कहीं भी राहुल गांधी जी की रैलियों की सफलता का कोई ब्यौरा समाचारपत्रों की सुर्खियां नहीं बनता और मोदी जी के हर स्थान के भाषण को पूरे विवरण देकर प्रकाशित किया जाता है .दूरदर्शन पर साफ तौर पर दिखाया जाता है कि राहुल गांधी के लखनऊ दौरे में लोगों का हुजूम उनके साथ था किन्तु समाचार पत्र कहते हैं कि राहुल भीड़ न देख कर निराश हुए जबकि कहीं से लेकर कहीं तक भी राहुल गांधी के चेहरे पर निराशा के भाव नज़र नहीं आते .आज के समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी है एक खबर कि ''कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान में मिडिल क्लास गायब, नेता नाखुश  '' और इस समाचार से मीडिया क्या दिखाना चाहता है यह खुलकर सामने आ रहा है क्योंकि दूरदर्शन जो कि देश का सबसे ज्यादा प्रसार पाने वाला चैनल है उस पर आरम्भ से ही जिस

आज का युवा !

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जागरूक  सचेत  सतर्क   आज का युवा ! जागरूक अधिकारों के लिए  सचेत धोखाधड़ी से  सतर्क दुश्मनों से  आज का युवा ! साथ ही  कृतघ्न  उपेक्षावान  लापरवाह  भी  आज का युवा ! कृतघ्न बड़ों की सेवा में  उपेक्षावान देश हित करने में  लापरवाह समाज के प्रति  जीवन के धवल स्वरुप के संग  ये स्याह लबादा ओढ़े है , खुद की कमियों से हो असफल  ये बैठ ज़माना कोसे है . शालिनी कौशिक   [कौशल ]

वोट आपको देना मतलब गले लगाना पाप को .

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चले मियां जी हाथ में लेकर फूलों की कई माला , पीछे-पीछे सब घरवाले ,हर एक मोहल्ले वाला , देख के इतनी भीड़भाड़ को भाग के पूछें लाला पहना है किस खुशी में तुमने अचकन शेखों वाला . ............................................................ लाला को आते जो देखा भीड़ ने शोर मचाया , ज़िंदाबाद के नारे कहकर हल्ला खूब मचाया , लाला जी लो हमको देख के समझ न तुमको आया तुम्हरे दल का नेता भरने नाम यहाँ है आया . .......................................................... पर आप चले क्यूँ शेख जी ऐसे ढोल तमाशे लेकर , ये नेता तो आप सभी से चले दूर ही हटकर , आप सभी का बुरा किया है इसने आगे बढ़कर इसी नाम पर वोट हमारी जाती इसको छनकर. .................................................................. मूंछ उमेठे हँसे मियां तब लाला जी से बोले , मेरी बात को जरा गौर से सुनना कान को खोले , नहीं अगर हम शामिल होंगें इसका खून ही खौले पीछे पड़ेगा घर आ -आकर हमरी नबज़ टटोले . ................................................................ वोे हमें है देना अपने कर्मठ उम्मीदवार को , इससे पीछा अभी छुड़ाके देखें अपने यार को , कहने चल

कॉंग्रेस में आज भी है माँ का स्थान अमित शाह जी

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''दहलीज़ वही दुनियावी फितरत से बच सकी , तरबियत तहज़ीब की जिस दर पे मिल सकी .'' और आज भले ही अमित शाह ने राहुल गांधी का उपहास उड़ाने के लिए ही उनके प्रधानमंत्री बनने पर मां से पूछने की बात कही हो किन्तु अपने कटाक्ष में उन्होंने इस परिवार को तहज़ीब की तरबियत संजोने वाला तो साबित कर ही दिया क्योंकि आज आम तौर पर जो बच्चे अपने माता -पिता से पूछकर कोई काम करते हैं उनकी हंसी ऐसे बच्चे द्वारा उड़ाई ही जाती है जो गैर संस्कारी परिवार से सम्बद्ध रहे हों जैसे कि बॉबी फिल्म में नायक राजा अपने कॉलिज में फेयरवेल फंक्शन के लिए रुकना चाहता है किन्तु अपने मम्मी-पापा की इज़ाज़त के बाद जिस भावना की उसका एक सहपाठी यह कहकर हंसी उड़ाता है - ''लो ,एक प्रिसिपल साहब हैं जो ये कहते हैं कि अपनी ज़िंदगी के फैसले आप करो और एक ये माँ के लाल हैं जो हर बात के लिए उधर से परमिशन लेनी पड़ती है -अमां मौज उड़ाने के दिन हैं ,इसमें परमिशन क्या लेनी है .'' और ऐसे ही यहाँ अमित शाह राहुल गांधी की हंसी उड़ाने आ गए जिनकी खुद की ज़िंदगी में हमें तो लगता नहीं कि माँ की कोई भूमिका है क्योंकि विकिपीड