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मार्च, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संघी मानसिकता

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इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं . जगमगाते अपने तारे गगन पर गैर मुल्कों के , तब घमंड से भारतीय सीने फुलाते हैं . टिमटिमायें दीप यहाँ आकर विदेशों से , धिक्कार जैसे शब्द मुहं से निकल आते हैं . ...................................................... नौकरी करें हैं जाकर हिन्दुस्तानी और कहीं , तब उसे भारतीयों की काबिलियत बताते हैं . करे सेवा बाहर से आकर गर कोई यहाँ , हमारी संस्कृति की विशेषता बताते हैं . राजनीति में विराजें ऊँचे पदों पे अगर , हिन्दवासियों के यशोगान गाये जाते हैं . लोकप्रिय विदेशी को आगे बढ़ देख यहाँ , खून-खराबे और बबाल किये जाते हैं. क़त्ल होता अपनों का गैर मुल्कों में अगर , आन्दोलन करके विरोध किये जाते हैं . अतिथि देवो भवः गाने वाले भारतीय , इनके प्रति अशोभनीय आचरण दिखाते हैं . ..................................................... विश्व व्यापी रूप अपनी संस्था को देने वाले , संघी मानसिकता से उबर  नहीं पाते हैं . भारतीय कहकर गर्दन उठाने वाले , वसुधैव कुटुंबकम कहाँ अपनाते हैं  भारत का छोरा जब ग

हाथ करें मजबूत

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सरकार चलाना कोई बच्‍चों का खेल नहीं है: सोनिया गांधी भावनाएं वे क्या समझेंगे जिनकी आत्मा कलुषित हो , अटकल-पच्चू  अनुमानों से मन जिनका प्रदूषित हो . ..................................................................... सौंपा था ये देश स्वयं ही हमने हाथ फिरंगी के , दिल पर रखकर हाथ कहो कुछ जब ये बात अनुचित हो . ....................................................................... डाल गले में स्वयं गुलामी आज़ादी खुद हासिल की , तोल रहे एक तुला में सबको क्यूं तुम इतने कुंठित हो . .............................................................................. देश चला  है प्रगति पथ पर इसमें मेहनत है किसकी , दे सकता रफ़्तार वही है जिसमे ये काबिलियत हो . .......................................................................... अपने दल भी नहीं संभलते  कहते देश संभालेंगें , क्यूं हो ऐसी बात में फंसते जो मिथ्या प्रचारित हो . ....................................................................... आँखों से आंसू बहने की हंसी उड़ाई जाती है , जज्बातों को आग लगाने को

महज़ इज़ज़त है मर्दों की ,महज़ मर्दों में खुद्दारी ,

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  बहाने खुद बनाते हैं,हमें खामोश रखते हैं , बहाना बन नहीं पाये ,अकड़कर बात करते हैं . ....................................................... हुकुम देना है हक़ इनका ,हुकुम सुनना हमारा फ़र्ज़ , हुकुम मनवाने की ताकत ,पैर में साथ रखते हैं . ............................................................... मेहरबानी होती इनकी .मिले दो रोटी खाने को , मगर बदले में औरत के ,लहू से पेट भरते हैं . ............................................................... महज़ इज़ज़त है मर्दों की ,महज़ मर्दों में खुद्दारी , साँस तक औरत की अपने ,हाथ में बंद रखते हैं . ......................................................... पूछकर पढ़ती-लिखती हैं ,पूछकर आती-जाती हैं , इधर ये मर्द बिन पूछे ,इन्हीं पर शासन करते हैं . ........................................................ इशारा भी अगर कर दें ,कदम पीछे हटें उसके , खिलाफत खुलकर होने पर ,भी अपनी चाल चलते हैं . ................................................................... नहीं हम कर सकते हैं कुछ भी ,टूटकर कहती ''शालिनी '' बनाकर  जज़ब

महबूबा यहाँ सबकी बस कुर्सी सियासत की ,

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फुरसत में तुम्हारा ही दीदार करते हैं , खुद से भी ज्यादा तुमको हम प्यार करते हैं।   अपनों से ज़ुदा होने की फ़िक्र है नहीं , तुम पर ही जान अपनी निसार करते हैं।  झुकती हमारी गर्दन तेरे ही दर पे आकर , हम तेरे आगे सिज़दा बार -बार करते हैं।  ये ज़िंदगी है कितनी हमको खबर नहीं है , पलकें बिछाके फिर भी इंतज़ार करते हैं।  बालों में है सफेदी ,न मुंह में दाँत कोई , खुद को तेरी कशिश में तैयार करते हैं।  महबूबा यहाँ सबकी बस कुर्सी सियासत की , पाने को धक्का -मुक्की और वार करते हैं।  ''शालिनी ''देखती है देखे अवाम सारी , बहरूपिये बन -ठन कर इज़हार करते हैं।  शालिनी कौशिक      [कौशल ]

रविशंकर प्रसाद मात्र बोलने के लिए क्यूँ बोलें

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''कभी चिराग़ तय थे हरेक घर के लिए , कभी चरागाँ मयस्सर नहीं शहर के लिए.'' कहकर भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कॉंग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र को धोखा करार दिया ,कोई विशेष बात नहीं की  हरेक पार्टी अपनी विरोधी पार्टी के वादों को धोखा ही कहती है किन्तु जो कहकर वे कॉंग्रेस के घोषणा पत्र की बुराई कर रहे हैं , आलोचना का विषय वह है कॉंग्रेस वह पार्टी है जिसने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लेकर अब तक देश पर सर्वाधिक शासन किया है इसका कारण महज शासन करने की काबिलियत का होना व् जनता में कॉंग्रेस के लिए विश्वास और उसके प्रति प्रेम ही नहीं है अपितु कॉंग्रेस के द्वारा देश हित व् जन हित में किये गए कार्य भी हैं . कॉंग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र को इस बार युवाओं ,महिलाओं व् समाज के विभिन्न तबकों से बातचीत के आधार पर तैयार किया है .उसने इसमें आने वाले समय के लिए वादे भी किये हैं और अपने दस वर्षीय शासन काल की उपलब्धियां  .भी गिनवाई हैं और ये स्वाभाविक भी है क्योंकि इसमें न केवल कॉंग्रेस की मेहनत है बल्कि कॉंग्रेस के द्वारा देशहित में देखे गए वे सपने भी हैं जो वह अपने देश की जनता के

आधार अनिवार्य करे सुप्रीम कोर्ट

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''आधार से सम्बंधित किसी भी प्रकार के आंकड़े बिना सम्बंधित व्यक्ति की सहमति के किसी अन्य प्राधिकरण से साझा नहीं किये जाने चाहियें '' ये कहकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सरकार से आधार कार्ड की अनिवार्यता ख़त्म करने को कहा है जबकि अभी कल ही की बात है शरद पंवार जी द्वारा ''स्याही मिटाओ और दोबारा वोट डालो '' का आह्वान चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन हेतु संज्ञान में लिया जा रहा था और यह मात्र शरद पंवार जी के आह्वान पर होने वाला कार्य नहीं है अपितु यह हमारे देश के नागरिकों द्वारा अभ्यास से किया जा रहा है और उनके लिए वोट डालने के बाद स्याही को ऊँगली से छिड़ककर साफ कर देना एक शौक बन चुका है . लोकतंत्र जनता की सरकार कही जाती है और जनता का एक वोट देश की तकदीर बदल सकता है किन्तु जनता यहाँ जितनी ईमानदारी से अपना कर्त्तव्य निभाती है सब जानते हैं .पहले जब वोटर आई.डी. कार्ड नहीं होता था तब एक ही घर से राजनीति में भागीदारी के इच्छुक लोग ऐसे ऐसे लोगों के वोट बनवा लेते थे जिनका दुनिया में ही कोई अस्तित्व नहीं होता था फिर धीरे धीरे फोटो पहचान पत्र आये और इन

..कहीं नारे की तरह सत्ता भी ......

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''यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है , चलो यहाँ से कहीं दूर ..........'' पंक्तियाँ दूरदर्शन के एंकर अश्विनी मिश्रा अपने एक कार्यक्रम के सम्बन्ध में रहे थे किन्तु आज सियासी परिस्थितियों ने इन पंक्तियों से ध्यान एकाएक भाजपा की वर्त्तमान कार्यप्रणाली की ओर मोड़ दिया जिसमे दरख्त समान हमारे बुज़ुर्ग नेताओं के साथ यही व्यवहार अपनाया जा रहा है.पहले जोशी ,टंडन से उनकी सीट छीन ली गयी ,फिर आडवाणी को भोपाल /गांधी नगर में उलझाया गया और अब जसवंत सिंह का तो टिकट ही काट दिया गया और अभिनेता परेश रावल के लिए आडवाणी के करीबी हरेन पाठक का टिकट कट दिया गया ,पार्टी के प्रति समर्पित ये व्यक्तित्व आज अपमान के दौर से गुज़र रहे हैं और वह भी मात्र उन नेताओं के कारण जिनका पार्टी के राष्ट्रीय स्वरुप में कोई योगदान नहीं . नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हैं और गुजरात को विकास की राह का घोड़ा बताते हैं ये अच्छी बात है कि देश का एक राज्य प्रगति की राह पर सरपट दौड़ रहा है किन्तु अभी तक २८ राज्य वाले इस देश में एक पार्टी का राष्ट्रीय व्यक्तित्व तब बनता है जब कम से कम ४ राज्यों में पार्टी अपना अस्तित्

.............सियासत के काफिले .

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हमको बुला रहे हैं सियासत के काफिले , सबको लुभा रहे हैं सियासत के काफिले . ..................................................... तशरीफ़ आवरी है घडी इंतखाब की, दिल को भुना रहे हैं सियासत के काफिले . ..................................................... तसलीम कर रहे हैं हमें आज संभलकर , दुम को दबा रहे हैं सियासत के काफिले . .................................................. न देते हैं मदद जो हमें फ़ाकाकशी में , घर को लुटा रहे हैं सियासत के काफिले . ..................................................... मख़मूर हुए फिरते हैं सत्ता में बैठकर , मुंह को धुला रहे हैं सियासत के काफिले . ........................................................ करते रहे फरेब हैं जो हमसे शबो-रोज़ , उनको छुपा रहे हैं सियासत के काफिले . ...................................................... फ़ह्माइश देती ''शालिनी'' अवाम समझ ले , तुमको घुमा रहे हैं सियासत के काफिले . ................................................... शालिनी कौशिक [कौशल ] शब्दार्थ-तशरीफ़ आवरी-पधारना ,इंतखाब-चुनाव ,फाकाकशी-भूखो मरना ,मखम