झुंझलाके क़त्ल करते हैं वे जनाब आली .

झुंझलाके क़त्ल करते हैं वे जनाब आली .

  नुमाइंदगी करते हैं वे जनाब आली ,
जजमान बने फिरते हैं वे जनाब आली .
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देते हैं जख्म हमें रुख बदल-बदल ,
छिड़कते फिर नमक हैं वे जनाब आली .
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मुखालिफों को हक़ नहीं मुहं खोलने का है ,
जटल काफिये उड़ाते हैं वे जनाब आली .
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ज़म्हूर को कहते जो जनावर जूनून में ,
फिर बात से पलटते हैं वे जनाब आली .
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फरेब लिए मुहं से मिलें हाथ जोड़कर ,
पीछे से वार करते हैं वे जनाब आली .
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मैदान-ए-जंग में आते हैं ऐयार बनके ये ,
ठोकर बड़ों के मारते हैं वे जनाब आली .
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जम्हूरियत है दागदार इनसे ही ''शालिनी ''
झुंझलाके क़त्ल करते हैं वे जनाब आली .
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                      शालिनी कौशिक 
                               [कौशल ]

शब्दार्थ -नुमाइंदगी-प्रतिनिधित्व ,जनाब आली -मान्य महोदय ,जजमान-यजमान ,जटल काफिये उड़ाना-बेतुकी व् झूठी  बाते करना ,जम्हूर-जनसमूह ,जम्हूरियत-लोकतंत्र .

टिप्पणियाँ

आपकी बातों में एक पार्टी के एक खास व्यक्ति को लेकर घृणा, नफरत की बू आती है। अगर किसी भी व्यक्ति में किसी को कोई भी बात अच्छी ना लगे, तो मुझे लगता है कि उस व्यक्ति को एक बार ईमानदारी से अपने भीतर भी जरूर झांकना चाहिए। मेरा ये भी मानना है कि जब आप किसी व्यक्ति को लेकर बायस्ड हो जाएं तो फिर उस विषय पर आपको विचार देने से बचना चाहिए, क्योंकि उस विचार में ईमानदारी समझिए सच्ची ईमानदारी नहीं रह जाती।
अति से हर किसी को बचना चाहिए क्योंकि अति हर जगह खराब ही होती है !!
vijai Rajbali Mathur ने कहा…
एक सटीक,सत्याधारित एवं परमावश्यक रचना देकर आपने जन-हित में जो कार्य किया है वह स्तुत्य एवं सराहनीय है। कृपया भाजपाई धमकियों से डरें या झुकें नहीं।
Aditi Poonam ने कहा…
महेंद्र जी से शत-प्रतिशत सहमत हूँ शालिनी जी ...
साभार.....

Aditya Tikku ने कहा…
utam-( shav aur shabdo ke samavesh keliye)***
बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,

RECENT POST : अपनी पहचान
Shikha Kaushik ने कहा…
BAHUT KHOOB LIKHA HAI .AAPNE .BADHAI
Shalini kaushik ने कहा…
@महेन्द्र जी ,आभार आपकी अतिमहत्वपूर्ण मुफ्त में दी गयी सलाह के लिए ,आपके आलेखों को पढ़कर उनके अनुसार ही आपकी शिक्षा का अनुसरण अवश्य करूंगी .
Shalini kaushik ने कहा…
@पूरण जी सच कह रहे हैं आप इसीलिए बस इतने ही बखान पर स्वयं को रोक लिया कहीं अति हो जाये और सारा सत्य ही सामने आ जाये .सुन्दर विचारों के लिए आभार
Shalini kaushik ने कहा…
@विजय राज जी यदि ऐसे डरने वालों में हम होते तो इतने चापलूसी माहौल में ये सब कहने का साहस नहीं जुटा पाते .आपके साथ के लिए आभार
Shalini kaushik ने कहा…
अदिति जी ,धीरेन्द्र जी ,शिखा जी और आदित्य टिक्कू जी विचार प्रस्तुत करने के लिए आभार
Bhagirath Kankani ने कहा…
yah koun sa sahas huwa? kisi ke baare me kuch bhi likh do to wo sahas nahi kahalaataa.ash Mahendrji ne aapko sahi salah dee hai ki kisi ke baare me likho to imaandaaree se likho, ek tarafaa mat likho. aapke lekh se to kattar virodhi ki bu aa rahi hai. yah koi sahash ki baat nahi hai jo aap man me soch rahi hai.

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